Monday 19 December 2016

ओह्ह्ह्ह कलाम....



तुम कहीं गए नहीं

भारती के लाल

तुम यहीं हो

भारत के हर बच्चे में

ज्ञान की ज्योति बन प्रज्वलित रहोगे

करोगे रोशन उनकी राहें

अज्ञान के अन्धकार में



हर युवा के प्रेरणास्रोत

सिखाते रहोगे सदा

अभावों में जीने का हुनर

संभावनाओं को असंभव की कोख से

सकुशल ले आना

बताया तुमने हमें  

आत्म सम्मान और आत्म निर्भरता

का सम्बन्ध

सफलता असफलता से परे

कर्म करते रहना  

विशालता से

शक्ति, धरा और विज्ञान से

देते रहे तुम सीख

हर वक़्त मुस्कुराने परिस्थितियों से लड़ने

और जीत जाने की



तुम

विज्ञान का प्रकाश पुंज

संगीत का दीपक

कविता की मशाल बन

सदा प्रकाशित करोगे

भारत का भविष्य

सच कलाम

तुम कहीं नहीं गए

हाँ संसार से दूर हुए हो

किन्तु मन के और समीप

बना गए हो अपने बाद

भारत के लिए कई और कलाम



तुमने जीवन सदा जिया है

तुम जीते रहोगे सदा

तुम्हें भुला न सकेगा इतिहास

तुम्हें भुला न सकेगा विकास

हम दे रहे तुम्हें विदा संसार से

किन्तु

नहीं जाने देंगे अंतस से



ओह्ह कलाम

क्या तुम सुन रहे हो  

तुम बहुत याद आओगे




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