Thursday 22 December 2016

ये नहीं होता तो ये होता नहीं ...........


कश्मकश इतनी रही है या नहीं |
ये नहीं होता तो ये होता नहीं |

हाथ दिल पे रख के मुझसे बोलिये |
आपसे मेरा कोई नाता नहीं |

प्यार को उनसे नहीं समझा गया ।
और हमसे हो सका सौदा नहीं ।

वो रकीबों से बड़ा उस्ताद है ।
साथ होता है मगर रहता नहीं ।

रू ब रू तुम भी, रहूँ भी होश में ।
दिल मेरा सच्चा तो है, सीधा नहीं ।

रंग खुशबू फूल तितली आसमां |
कौन है जो आपसा दिखता नहीं |

दुनिया के जैसी हैं दिल की उलझनें ।
ये नहीं मिलता तो वो मिलता नहीं ।



Wednesday 21 December 2016

जब कहते हो ये तुम



जब कहते हो ये तुम
मेरी जुल्फों में कैद हैं बादल
सुबहें मुहताज हे मेरी पलकों के उठने की
और शामें तक पलकें बुझने की   
आँखों में बंद हैं सागर नदी बरसात सब
टांक रखे हैं जूड़े में तारे मैंने
सूरज हथेली में सजा रक्खा है
बाँध रखी है हवाएं आँचल से
चाँद को छत पे बुला रक्खा हे

तुम ही तो कहते हो
मेरी मुस्कान से खिलते हैं फूल
खुशबू से महकती बगिया भी
डूबने लगती हे धरती मेरे आंसुओं में
मैं धुरी हूँ तुम्हारी
कि अगर मैं न होती तुम्हारे जीवन मे
तो रुक जाती गति
सांसें थम जातीं सीने में

ये कहकर कहा है न तुमने
सारी सृष्टि में लय मुझसे है
तुम्हारे जीवन में गति मुझसे है
मैं आधार तुम्हारे जीवन का
मैं विस्तार तुम्हारे आँगन का
जब कहते हो ये तुम
तो बताओ क्या मानते भी हो मुझे ?
इतना ही ज़रूरी
श्रृष्टि स्वरूपा  
सर्वशक्ति

...संयुक्ता

Monday 19 December 2016

जब सब कुछ कम था



कितने अच्छे थे वो दिन
जब उतना नहीं था सब
जितना कि आज है
एक जोड़ी जूते
पुराना बस्ता
पुराने पन्नो से बनी नई कापियां
भाई बहनों की पुरानी किताबें
एक रुपये जैसे कि तमाम संपत्ति
टूटी चूड़ियों, पत्थरों के खेल खिलौने
और
मां का बनाया स्वेटर
स्नेह की गर्माहट देता था
सच आज सब कुछ है
कितनी किताबें
कितनी डायरी
मह्न्गे फोन
सुविधा का हर सामान
बटन दबाने की दूरी पर
बड़ी बड़ी गाड़ियाँ
पर वो दूर तक चल कर
मॉं का एक काम कर देने की खुशी नहीं देते
दिन भर नीम की छांव मे जो आराम था
एयर कन्डीश्नर नहीं देते
सच बहुत अच्छे थे वो दिन
जब सब कुछ कम था  
...........संयुक्ता


ओह्ह्ह्ह कलाम....



तुम कहीं गए नहीं

भारती के लाल

तुम यहीं हो

भारत के हर बच्चे में

ज्ञान की ज्योति बन प्रज्वलित रहोगे

करोगे रोशन उनकी राहें

अज्ञान के अन्धकार में



हर युवा के प्रेरणास्रोत

सिखाते रहोगे सदा

अभावों में जीने का हुनर

संभावनाओं को असंभव की कोख से

सकुशल ले आना

बताया तुमने हमें  

आत्म सम्मान और आत्म निर्भरता

का सम्बन्ध

सफलता असफलता से परे

कर्म करते रहना  

विशालता से

शक्ति, धरा और विज्ञान से

देते रहे तुम सीख

हर वक़्त मुस्कुराने परिस्थितियों से लड़ने

और जीत जाने की



तुम

विज्ञान का प्रकाश पुंज

संगीत का दीपक

कविता की मशाल बन

सदा प्रकाशित करोगे

भारत का भविष्य

सच कलाम

तुम कहीं नहीं गए

हाँ संसार से दूर हुए हो

किन्तु मन के और समीप

बना गए हो अपने बाद

भारत के लिए कई और कलाम



तुमने जीवन सदा जिया है

तुम जीते रहोगे सदा

तुम्हें भुला न सकेगा इतिहास

तुम्हें भुला न सकेगा विकास

हम दे रहे तुम्हें विदा संसार से

किन्तु

नहीं जाने देंगे अंतस से



ओह्ह कलाम

क्या तुम सुन रहे हो  

तुम बहुत याद आओगे