वो जो भीड़ भाड़
में
कतराती रहती हैं बोलती हुई आँखों को सुनने से सुनने वाली आँखें तुम मानो न मानो इन दोनों खामोशियों के होंठ बतियाते हैं बहुत आधी आधी रात तक कैसे ???? ओफ्फो.............. मैंने कहा नहीं था क्या ऑनलाइन प्यार कोई बुरा थोड़े ही होता है है न....... .....संयुक्ता |
लम्स... अनुभूति... एहसास... यहीं से जन्म लेती है कविता.....यहीं तक जी सकती हूँ मैं....
Friday 6 January 2017
ऑनलाइन प्यार बुरा थोड़े ही होता है.....
Wednesday 4 January 2017
तुम्हें पा लूंगी मैं इक बूँद बराबर होकर
ए सुनो चाँद के
चेहरे से चमकने वाले
रात की आँखों सी संजीदा नज़र रखते हो
और बरगद की तरह ठोस ये बाहें तेरी
उलझी बेलों से पटे पर्वती छाती वाले
कहाँ पर्वत है ये दीवार हुआ जाता है
इसी दीवार ने घेरा है किसी कमरे को
जहाँ पे कैद की है तुमने नाज़ुकी दिल की
जिसे छूने की इजाज़त भी नहीं है लेकिन
याद है जब तेरे सीने से लग के रोई थी मैं
एक आंसू वहीँ सीने पे गिरा आई थी
एक उम्मीद में कि ये भी हो सके शायद
एक जंगल में प्रेमबेल लग सके शायद
नहीं भी हो सका ऐसा अगर तो यूँ होगा
मेरे आंसू की नमी सींचती रहेगी ज़मीं
उन सुराखों से उतर जाऊंगी मैं अन्दर तक
जहाँ पे कैद की है तुमने नाज़ुकी दिल की
उसे छू लूंगी खोल दूँगी बेड़ियाँ उसकी
और घुल जाऊंगी उसके वजूद से तुम में
यूँ ही पा जाऊंगी तुमको तुम्हारा दिल होकर
जान हो मान लो कि लाख रोक लो मुझको
नहीं मुमकिन है रोकना यूँ मुहब्बत का सफ़र
नहीं दरिया न समंदर नहीं बारिश कोई
रात की आँखों सी संजीदा नज़र रखते हो
और बरगद की तरह ठोस ये बाहें तेरी
उलझी बेलों से पटे पर्वती छाती वाले
कहाँ पर्वत है ये दीवार हुआ जाता है
इसी दीवार ने घेरा है किसी कमरे को
जहाँ पे कैद की है तुमने नाज़ुकी दिल की
जिसे छूने की इजाज़त भी नहीं है लेकिन
याद है जब तेरे सीने से लग के रोई थी मैं
एक आंसू वहीँ सीने पे गिरा आई थी
एक उम्मीद में कि ये भी हो सके शायद
एक जंगल में प्रेमबेल लग सके शायद
नहीं भी हो सका ऐसा अगर तो यूँ होगा
मेरे आंसू की नमी सींचती रहेगी ज़मीं
उन सुराखों से उतर जाऊंगी मैं अन्दर तक
जहाँ पे कैद की है तुमने नाज़ुकी दिल की
उसे छू लूंगी खोल दूँगी बेड़ियाँ उसकी
और घुल जाऊंगी उसके वजूद से तुम में
यूँ ही पा जाऊंगी तुमको तुम्हारा दिल होकर
जान हो मान लो कि लाख रोक लो मुझको
नहीं मुमकिन है रोकना यूँ मुहब्बत का सफ़र
नहीं दरिया न समंदर नहीं बारिश कोई
तुम्हें पा लूंगी
मैं इक बूँद बराबर होकर..........
तुम्हें पा लूंगी मैं इक बूँद बराबर होकर ...............
तुम्हें पा लूंगी मैं इक बूँद बराबर होकर ...............
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