डूब रहा है सूरज
रफ़्तार से गुज़र रहे पेड़
जो छूट रहे हैं पीछे
और मैं बढ़ रही हूँ आगे
अपने साथ कुछ चीजें लिए
बैग में एक डायरी
जिसमें हमारी तमाम मुलाकातें बिछीं हैं
जैसी की तैसी अक्षरों की शक्ल में
बतियाती हैं जीने लगती हैं सामने
जहाँ भाषा तुम्हारी हस्ताक्षर मेरे थे
वो जो डायरी तुम्हारी थी
अब मेरी है
वहीँ दो पन्नों के बीच छिपी
हमारी एक मुस्कुराती तस्वीर
जैसे समय के दो छोर से मुस्कुराती
दो मजबूरियां
अपने कन्धों पर वो आसमानी दुपट्टा
जो तुम ले आये थे पिछले बरस
परदेस से
वो एक ख़ास सी मुस्कराहट
जो सिर्फ मेरी थी
अपनी दोनों हथेलियों के बीच तुम्हारा चेहरा
अपनी आँखों में तुम्हारे सावन भर लायी हूँ
कि यही तो होंगे न
मेरे पतझड़ के ज़मीन में नमी
तुम्हारा प्यार अब भी है मेरे मन में
आत्मा में तुम्हारी सच्चाई है
बस
मोबाइल में नंबर नहीं अब तुम्हारा
तुम्हारी डायरी वो पते वाला पन्ना
छोड़ आई हूँ सिरहाने तुम्हारे
और हाँ
एक तुम्हारा रुमाल भी है मेरे पास
जो भीगा हुआ है अब भी
बाकी तो सब छूट गया
शहर तुम्हारा
रफ़्तार से गुज़र रहे पेड़
जो छूट रहे हैं पीछे
और मैं बढ़ रही हूँ आगे
अपने साथ कुछ चीजें लिए
बैग में एक डायरी
जिसमें हमारी तमाम मुलाकातें बिछीं हैं
जैसी की तैसी अक्षरों की शक्ल में
बतियाती हैं जीने लगती हैं सामने
जहाँ भाषा तुम्हारी हस्ताक्षर मेरे थे
वो जो डायरी तुम्हारी थी
अब मेरी है
वहीँ दो पन्नों के बीच छिपी
हमारी एक मुस्कुराती तस्वीर
जैसे समय के दो छोर से मुस्कुराती
दो मजबूरियां
अपने कन्धों पर वो आसमानी दुपट्टा
जो तुम ले आये थे पिछले बरस
परदेस से
वो एक ख़ास सी मुस्कराहट
जो सिर्फ मेरी थी
अपनी दोनों हथेलियों के बीच तुम्हारा चेहरा
अपनी आँखों में तुम्हारे सावन भर लायी हूँ
कि यही तो होंगे न
मेरे पतझड़ के ज़मीन में नमी
तुम्हारा प्यार अब भी है मेरे मन में
आत्मा में तुम्हारी सच्चाई है
बस
मोबाइल में नंबर नहीं अब तुम्हारा
तुम्हारी डायरी वो पते वाला पन्ना
छोड़ आई हूँ सिरहाने तुम्हारे
और हाँ
एक तुम्हारा रुमाल भी है मेरे पास
जो भीगा हुआ है अब भी
बाकी तो सब छूट गया
शहर तुम्हारा
बहुत सुन्दर रचना .....
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया बेनाम जी
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