Friday 1 April 2016

अपनी पराजय से खुश तो हो न

खुश तो हो न तुम
कि समाप्त कर चुके हो अब

मेरे जीवन से मेरे जीवन को
फूंक दिए सब सुनहरे ख्व़ाब
मेरी पलकों के साथ
छीन ली सब संभावनाएं
सुखद जीवन की
जला दी मेरी डोली
जिसकी कल्पना कर सदा मुस्कुराया
परिवार मेरा
अंगार कर दी मुस्कान मेरी
जिसे बरसों पाला है संवारा है
मेरे बाबा ने
राख कर दी चूड़ियों की खनक
खुश तो हो न तुम

क्यूंकि
पायल की छनक पर
अब नहीं पलटेगा कोई
तुमने प्रेम किया मुझे
प्रेम का उपहार

सारा संसार न भूल पायेगा कभी
एक बदसूरत झुलसा हुआ शरीर
माँ बाबा के आंसू
संसार के सामने निरुत्तर शर्मिंदा
मेरा कोई दोष न होते हुए
तुम्हारी वीभत्स मानसिकता को
सदा ढोयेंगे वे
मैं समाप्त भी कर लूँ स्वयं को
परन्तु समाप्त न होगी मेरे देह की जलन
बाबा के स्वप्नों से
मेरी तड़प के दाग जायेंगे नहीं
माँ के आँचल से
लेकिन
अपनी मर्दानगी दिखाकर
अपना प्रेम अपना अधिकार जताकर
खुश तो हो न तुम

सच कहो
क्या देख पाओगे तुम
मेरी तरह अपनी बहन को
पोंछ सकोगे यही आंसू
अपनी बीवी की आँखों से
नहीं मेरे अज्ञात प्रेमी
तुममें इतनी शक्ति नहीं
पुरुष हो तुम
पर मेरे बाबा की तरह नहीं
तुम लाचार हो पराजित हो निर्बल हो
तभी जीत न सके
और अब कहो
अपनी इस पराजय से
खुश तो हो न तुम


.....संयुक्ता

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