Friday 1 April 2016

आओ खेलें चाँद से हम तुम


नीली झील में छिपकर
बैठा है जो चाँद
तुम हाथ बढ़ाकर हटा दो पानी
निकाल लाओ मेरे लिए उसे
और पहना दो
कभी कलाइयों में कंगन सा
कभी कानों में बालियों सा
या अंगूठी में मोती सा जड़ दो

और

बादलों को हटा कर कुछ तारे तोड़ लेना
टांक देना मेरी पायल में सितारों के घुँघरू

यूँ ही खेलें चाँद तारों से हम तुम
यूँ ही रोके रहें रात
और फिर छोड़ दें इसे
सागर तक बहते दरिया में

.....संयुक्ता

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